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बुधवार, नवंबर 02, 2011

सरकार और उसके अधिकारी सच बोलने वालों को गोली मारना चाहते हैं.

दोस्तों, आज सरकार(चाहे वो किसी भी दल की हो) और उसके अधिकारी सच बोलने वालों को गोली मारना चाहते हैं.आज जो भी सरकार ओछी नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएगा. उसको और उसके साथियों का इतना शोषित किया जाएगा कि वो खुद ही आत्महत्या कर लेगा या वो देशहित और समाजहित की बात छोड़कर चुपचाप बैठ जाएगा.जब-जब किसी व्यक्ति ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की है. तब सरकार व उसके अधिकारी उसको इतना शोषित करते हैं.जोकि उसका शोषण होते देखकर कोई दूसरा भी ओछी नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत ना करें.अगर कोई ज्यादा ही चर्चित व्यक्ति हो तो बात दूसरी है. वरना छोटे-मोटे व्यक्ति को मरवा दिया जाता है.फिर जांच के नाम पर सरकारी अधिकारी ढोंग करते हैं और बड़े-बड़े बिलों में खर्चें देखाकर अपनी जेब भरते हैं. चर्चित व्यक्तियों के किसी दबे हुए मामले को गड़े हुए मुर्दे की तरह से उखाड़कर शोषित किया जाता है. आज आपके सामने बाबा रामदेव और श्री अन्ना हजारे जी के उदाहरण आपके सामने है.
         दोस्तों, मैं आज अपना व्रत खोलकर नाई के पास अपना सिर मुड़वाने (पत्नी व सुसराल वालों द्वारा फर्जी केसों के विरोध में) के लिए बैठा था. तभी मेरे मोबाईल पर एक फोन आया कि मैं नाथू सिंह उत्तम नगर थाने से बोल रहा हूँ. आपका सम्मन आया हुआ है. पूछताछ करने पर ज्ञात हुआ कि द्वारका कोर्ट से आया था. 
        दोस्तों, मैंने जानकारी प्राप्त होने पर द्वारका कोर्ट से अपनी पत्नी से क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक लेने के लिए लीगल सैल(उपरोक्त संस्था गरीब व्यक्तियों को वकील देती है) से वकील देने का आवेदन किया था. काफी परेशानियों के बाद वकील मिला. फिर वकील ने काफी परेशान किया और पूरा केस की जानकारी ले ली. इससे पुरानी बातें याद करके बताने से मैं काफी दिनों तक बीमार भी हो गया.लगभग बीस-पच्चीस दिनों के बाद वकील ने कहा कि-मैंने लीगल सैल के पैनल से इस्तीफा दे दिया है. एक-दो दिन मैं लीगल सैल में तुम्हारी रिपोर्ट बनाकर दे दूँगा कि मैंने रमेश कुमार जैन का केस नहीं डाला है. उसके बाद आपको दूसरा वकील मिल जायेगा. मैं जब रिपोर्ट दूँगा तब फोन करके बता दूँगा. फिर एक दो दिन बाद फोन आया कि मेरा इस्तीफा मंजूर अभी नहीं हुआ है और कोर्ट की गर्मियों की छुट्टी पड़ गई. उसके बाद मैं फोन करके बताऊंगा. तब लीगल सैल में आना. मेरी अक्सर तबीयत खराब रहती थी और काफी समय से डिप्रेशन होने के कारण फोन नं. भी रखकर भूल गया था.
मुझे आज उत्तम नगर 
थाने के द्वारा मिला पत्र
फिर एक दिन मुझे उनका फोन नं. मिला फोन किया मगर उठाया नहीं गया. काफी समय के बाद फोन आया. तब मैंने कहा आपको अगर केस नहीं करना था तब आपने मेरा समय भी क्यों खराब किया और आपने पैनल से इस्तीफा भी नहीं दिया है. तब उस वकील ने कई अपमानजनक बात कही. उस घटना के बाद मैंने तलाक का केस डालने का विचार त्याग दिया, क्योंकि बीमारी का शरीर होने और आर्थिक रूप से बिल्कुल टूट जाने के बाद मेरी हिम्मत ने जवाब दे दिया था.थोड़ी बहुत मानसिक शांति के लिए जैन धर्म की तपस्या में लीन होने का प्रयास किया. फिर मुझे पहली बार सात सितम्बर को दोपहर तीन बजे एक पत्र मिला. जो अंग्रेजी में होने के कारण समझ नहीं आया. उसके बाद भी अनेक पत्र आये.मैंने किसी व्यक्ति से उसको पढवाया तब पता चला कि उस वकील ने मेरे खिलाफ कोई शिकायत की हुई है.जो मुझे समझ नहीं आई. फिर मैंने 19 अक्टूबर 2011 को ईमेल भेजकर अपना पक्ष रख दिया था.लेकिन उसके बाद मुझे आज उत्तम नगर थाने के द्वारा पत्र संदर्भ नं. 418/2011/DLSA/Dwk/4643मिला है.जिसमें नौ नवम्बर को बुलाया गया है. मैंने अपना पक्ष ईमेल से जो रखा था. उस ईमेल को यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ. इसको पढकर काफी स्थिति आपको समझ में आ जायेगी.मैं अपने ऊपर हुए अत्याचार के सन्दर्भ में राष्ट्रपति और दिल्ली हाईकोर्ट में भी "इच्छा मृत्यु" देने के लिए पत्र लिख चूका हूँ. जिनको ऊपर लिखे राष्ट्रपति और दिल्ली हाईकोर्ट पर क्लिक करके देखा जा सकता है.आज पांच महीने हो चुके है. कोई जबाब नहीं आया. एक गरीब कहाँ से लाये "इन्साफ" पाने के लिए वकीलों की मोटी-मोटी फ़ीस ? गरीब ऐसे ही घुट-घुटकर मरते हैं. आज भी तबियत खराब होने के कारण और मानसिक परेशानी के कारण अपनी पूरी बात सही नहीं लिख पा रहा हूँ. इसलिए अपनी ईमेल को यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ.

रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा sirfiraa@gmail.com को dlscdwarka@gmail.com 
दिनांक १९ अक्तूबर २०११ ११:४१ अपराह्न 
विषय-मैं आपके पास आने में असमर्थ हूँ. इसके द्वारा मेल किया गया gmail.com 
  
सेवा में,
श्रीमान मोहिंदर विरत जी,Secretary/DLSA-SW
SOUTH WEST DISTRICT LEGAL SERVICESS AUTHORITY, Administrative Block, Gr. Floor, Dwarka Court Complex, New Delhi.

विषय:-आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मैं आपके पास आने में असमर्थ हूँ और बार-बार पत्र भेजकर शोषित ना किया जाए हेतु प्रार्थना पत्र. जब मुझे इंसाफ नहीं दिलवा सकते हैं तब कम से कम मुझे परेशान ना किया जाए.

        मान्यवर महोदय जी, मेरे पास मेरी फ़ाइल नं. 418/2011/DLSA/Dwk के संदर्भ में आपके यहाँ से संदर्भ नं. 418/2011/DLSA/Dwk/3769, 418/2011/DLSA/Dwk/4029, 418/2011/DLSA/Dwk/4071 & 418/2011/DLSA/Dwk/4305 जोकि मुझे दिन में तीन बजे क्रमश सात सितम्बर, सोलह सितम्बर, उन्नीस सितम्बर और चार अक्टूबर को मिले. जिसमें मुझे दिन 12 बजे क्रमश सात सितम्बर, पंदह सितम्बर, अठाईस सितम्बर और बीस अक्टूबर को बुलाया गया है. इन पत्रों के संदर्भ में यह ही कहना है कि पहले छह साल तक मेरी पत्नी और ससुराल वालों ने मेरा शोषण किया और मुझे झूठे केसों में फंसाकर बर्बाद कर दिया. फिर गरीब होने की स्थिति में लीगल सैल वकील लिया, यह मेरा सबसे बड़ा कसूर है. जहाँ सिर्फ शोषण के कुछ नहीं मिला.मैंने जब आपके पास आवेदन किया था. तब थोड़ी-सी उम्मीद थीं, मगर आपके यहाँ से मिले वकील द्वारा शोषित किये जाने पर "न्याय" उम्मीद भी छोड़ दी है, क्योंकि आपके यहाँ के नहीं हर अदालत के लीगल सैल से मिले वकील सिर्फ शोषित करने के सिवाय कुछ नहीं करते हैं. इनकी शिकायत करो तो कार्यवाही आप लोग करते ही नहीं है. बल्कि मुझे या पीड़ित को शोषित करना शुरू कर देते है, क्योंकि यह वकील होते हैं पीड़ित गरीब और एक आम आदमी होता है. मुझे आपके पत्रों में कुछ भी समझ नहीं आता है, क्योंकि वो अंग्रेजी में होते है. आप मेरे आवेदन फॉर्म और शपथ पत्र को देख सकते हैं, वो हिंदी में है. मैं पहले थोड़ा बहुत कमा लेता था. मगर अब मई से बिल्कुल बेरोजगार बैठा हूँ. मेरे पास आपके यहाँ आने के लिये "किराया" भी नहीं है. मुझे किसी ने आपका पत्र पढकर सुना है जहाँ तक वकील प्रदीप कुमार सिंह ने मेरे खिलाफ जो शिकायत की है. वो मुझे अंग्रेजी में होने के कारण समझ में नहीं आई. अगर हिंदी में होती तो कुछ समझ जाता और उसका कोई जवाब भी दे देता. वकील प्रदीप कुमार सिंह के बारें में इतना ही कहूँगा कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे है, क्योंकि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. एक ईमानदार पत्रकार को जब अपमानित किया जाता है और उसे ब्लैकमेलर कहा जाता है. तब आम आदमी को कितना शोषित करते होंगे. इन दिनों मेरी जैन धर्म की तपस्या चल रही है. मेरा कल भी बिना पानी पिए का उत्तम नगर की जैन स्थानक में व्रत है. बेशक आप इस पते टी-239-240, जैन स्थानक उत्तम नगर (नजदीक परमपुरी चौंक) पर आकर देख लें. अगर आपके अंदर हिम्मत, इंसानियत और ईमानदारी है. तब मेरे पास आये और मेरी बात सुने. इसके साथ ही वकील प्रदीप कुमार सिंह की शिकायत हिंदी में लिखवाकर भेजें तब उस शिकायत पर अपना स्पष्टीकरण दें सकता हूँ और मुझे बार-बार पत्र भेजकर शोषित नहीं किया जाए. अगर आप लोगों ने मुझे ज्यादा परेशान किया तो मैं आत्महत्या कर लूँगा. मुझे नहीं चाहिए लीगल सैल से शोषित करने वाले वकील. हमारे देश में गरीबों को इन्साफ देने वाली अदालतें ना तो आज तक बनी है और ना भविष्य बनने की उम्मीद नज़र आ रही है. मैं आपसे पूछता हूँ कि आपके पास आने के लिये किराये हेतु क्या किसी का गला काटूं या किसी बैंक में डैकेती डालूं या आंतकवादियों के लिये विस्फोट करने की साजिश को अंजाम देने के लिये द्वारका कोर्ट या अन्य किसी कोर्ट आदि स्थानों की रेकी करके दूँ. मैं आपकी ईमानदारी को खुली चुनौती देता हूँ कि अगर आपके दिल और आत्मा के किसी कोने में "इंसानियत" नाम की कोई चीज है. तब आप मेरे पास आये और लीगल सैल के वकीलों की कार्यशैली जीता-जागता सबूत देखें. अब मुझे कोई "तलाक" का कोई केस नहीं डालना है. आपसे अनुरोध है कि मेरी फ़ाइल बंद कर दीजिए, क्योंकि लीगल सैल के वकीलों से अपमानित होने से अच्छा है. झूठे केसों की सजा काटना या थोड़े दिनों आत्महत्या कर लेना ज्यादा अच्छा है. इन्साफ देना अब अदालतों की बस की बात नहीं रही.यह अमीरों के बड़े-बड़े वकीलों के तर्क सुन सकती हैं. गरीबों के लिये वकील इंसाफ की लड़ाई के लिये रिश्वत मांगते हैं या केस कमजोर करने की धमकी देते हैं या अन्य कई तरीकों से शोषित करते हैं. मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है. तब आप इस लिंक को पढकर देखें.मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर एक प्रश्नचिन्ह है.-- रमेश कुमार जैन.

   

मंगलवार, नवंबर 01, 2011

मेरी लम्बी जुल्फों का कल "नाई" मालिक होगा.

मेरी इन लम्बी-लम्बी जुल्फों का कल "नाई" मलिक होगा. मैं कल दो नवम्बर 2011 को अपने ऊपर पत्नी व सुसराल वालों द्वारा फर्जी केसों के विरोध में मुंडन करवा रहा हूँ. आपको कल मेरी एक नई फोटो देखने को मिलेगी. जो हास्य से परिपूर्ण होगी और एक अच्छा संदेश भी देंगी. आज मेरा जैन धर्म का अंतिम व्रत है. जैसा आपको याद होगा कि मेरी तपस्या 20 मई 2011 से शुरू हुई थी. आप सभी दोस्तों की दुआओं से मुझे अपनी तपस्या को पूर्ण करने में बहुत मदद मिली. उसके लिए आप सब का तहे दिल से आभारी हूँ. आपकी दुआ से मेरी यह तपस्या हो सकी है. मैंने तपस्या के दौरान  29 दिन लगातार अन्न ग्रहण नहीं किया, 11 एकासने, 2 अमल, एक तेला, दो बेले, दो पौषध, दो बिना जल पिए ही पौषध, दो पौषध केवल रात-रात के, दो दिन छोड़कर हर तीसरे दिन केवल जल पीकर किये जाने वाले 38 लगातार उपवास के साथ ही अनेकों नवकारसी और पहरपोर्शी आदि. इससे ज्यादा जानकारी इस ब्लॉग की अनेक पोस्टों में है.
 
 जैन धर्म के नमोकार मंत्र का जप करते हुए का चित्र. जिसको मेरे भतीजे कार्तिक जैन ने अचानक ले लिया था. इसकी जानकारी मुझे काफी समय के बाद हुई.
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