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बुधवार, अक्तूबर 24, 2012

दहेज न लेने पर भी सजा मिलती है


दोस्तों, दहेज न लेने पर भी सजा मिलती है मानो ना मानो मगर यह सच है. मैं दहेज के प्रति ऐसे विचार रखता था कि दहेज लेने से पूरी जिंदगी नहीं चलती है बल्कि अपने हाथों की कमाई से चलती है. मैंने एक ईमानदार, स्वाभिमानी पत्रकार व जैन धर्म का अनुयायी होकर दहेज प्रथा का विरोध करते हुए या यह कहूँ दहेज प्रथा पर विचार ( नीचे फोटो में लिखी बातों पर) करते हुए, बिना किसी प्रकार का दिखावा करते हुए और बिना किसी प्रकार का दहेज लिए ही "कोर्ट मैरिज"(प्रमाण पत्र की फोटो ऊपर देखें) की थी. 
लेकिन महिलाओं के हित में बनाये कानूनों के दुरूपयोग के चलते हुए आज मैं अपनी पत्नी और उसके परिजनों द्वारा दहेज मंगाने और दहेज का सामान (जो मुझे मिला ही नहीं) नहीं लौटने के झूठे केसों (धारा 498A और 406) में अब तक तिहाड़ जेल में एक महीना रहकर आ चूका हूँ और अब तक फँसा हुआ हूँ. आज मेरे पास वकील द्वारा जजों को सच बताने तक के लिए पैसे (वकीलों की फ़ीस) नहीं है, क्योंकि झूठे केसों के कारण अपने कार्य में ध्यान नहीं लगा पाता था. जो अब बंद हो गया है. हमारे देश की न्याय व्यवस्था में न्याय की उम्मीद करना भी बेमानी है. आज मुझे कोर्ट से मिलती है तो तारीख पर तारीख. आज समाज में दहेज कानून सुसराल वालों को ब्लैकमेल करने का हथियार बनता जा रहा है. अंधे जजों और पुलिस वालों का तो कहना ही क्या ?

एक मेरा छोटा उदाहरण देखें-मेरे सुसराल वालों ने मुझे दो फ्रिज और दो कलर टी.वी आदि और लाखों रूपये का "सोना" व हजारों रूपये नकद दिया. जिनकी कोई रसीद नहीं है. जबकि मैंने कभी अपने माता-पिता से भी "एक रुपया" अपना व्यवसाय करने के लिए नहीं लिया था. मैंने एक टी.वी और एक फ्रिज व गृहस्थी का सारा सामान अपने पैसों से खरीदा था. जिसके पक्के बिल मेरे पास है और जैन धर्म के गुरुओं से मैंने "नियम" ले रखा था कि "सोना-चांदी" की वस्तुओं को अपनी 35 साल तक आयु तक धारण नहीं करूँगा और उसके बाद "अपने धन" से खरीदा हुए सोना-चांदी धारण करूँगा अर्थात सोना-चांदी का "त्याग" किया हुआ था. हम पति-पत्नी तीन टी.वी और तीन फ्रिज प्रयोग करते थे. वो भी एक बारह बाई पन्दह फुट के कमरे में. फिर भी हमारा बिजली का बिल लगभग तीन सौ रूपये आता था. क्या आप इस बात पर विश्वास करेंगे कि एक कोर्ट मैरिज में लड़की के माँ-बाप इतना सामान देते हैं? लेकिन फिर भी मेरे ऊपर दहेज के लिए परेशान करने और दहेज का सामान ना लौटने आदि के अनेकों केस (एफ.आई.आर नं. 138/2010 Dated 13-5-2010 थाना-मोतीनगर, दिल्ली और गुजारा भत्ता आदि के अदालत में चल रहे है) दर्ज है. कोई भी पुलिस अधिकारी और जज इन बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है.
दोस्तों  यह सब मैंने अपनी फेसबुक की "वाल" पर लिखा था. उसके बाद मेरे अन्य दोस्तों/शुभचिन्तकों की टिप्पणी आई. उसमें से कुछ टिप्पणी और उसकी प्रतिक्रिया यहाँ पर रख रहा हूँ.

Raj Bhatia रमेश भाई आप की बात से सहमत हुं ओर जानता हुं आप सच बोल रहे हे, असल मे कुछ लोग सीधे साधे लोगो को मुर्ख समझते हे, ओर अपने साथ दुसरो का जीवन भी खराब कर लेते हे.... चलिये कभी तो सुबह होगी आप निडर रहे...
 Subhash Chandra Gupta Jai sir ! mai apke dard ko samaz skta hu kyunki dahej pratha kanun adami ko sirf fasane k liye hi bana hua hai. haqikat me galti chahe patni ki hi ho phir bhi fasna parta hai pati ko hi. uper se hamare desh ka kanun to umda kanun hai jo salon laga deta hai nyay dene me. phir bhi aap bharosa rakhein uper wala jald hi aapke haq me faisla karega. Har Ek,Raat ke baad ek Nai Subah bhi hoti hai usi tarah aapki jindagi me bhi nai subah ki shuruaat ho chuki hai.
रमेश कुमार जैन @सुभाष चन्द्र गुप्ता जी, आपका आभार. यह भी जानता हूँ कि हर एक रात के बाद एक नई सुबह आती है. लेकिन अदालत से मुझे और पांच साल बाद न्याय मिला तो क्या वो मेरे लिए न्याय ना होकर "अन्याय" नहीं होगा.
 Tara Jain Aaj mahilaon & shadi shuda aurton ko jitne kanooni adhikar de diye gaye hain, ye shubh sanket nahi hai. Jyadatar cases mein vivih ke pratham teen varsho mein sambandh-vicchhed dekhne me aa rahe hain.
हिमाँशु गर्ग हिंदू रमेश जी आजकल के समय में कानून से किसी भी प्रकार की उम्मीद रखना रेत का पूल बनाने जैसा है, हम और हमारी सहानुभूति आपके साथ है किसी भी प्रकार हम आपके काम आ सके हमारा सौभाग्य होगा
Hemant Jain please visit www.498a.org once .
रमेश कुमार जैन Hemant Jain जी, लिंक देने के लिए आभार. लेकिन उपरोक्त वेबसाईट "अंग्रेजी" में है. आप उनतक यह बात पहुंचाए कि इसको हिन्दी में भी बनाये. जो धारा 498A का पीड़ित होता है उसको इतनी अंग्रेजी नहीं आती है और आपकी मदद केवल कुछ पढ़ें-लिखें व्यक्तियों तक ही पहुँच पाती है. इसको हिन्दी में बनाकर इसका विस्तार करें. अंग्रेजी में होने के कारण मेरे लिए कोई उपयोगी नहीं है. लेकिन फिर भी कुछ लोगों को इस लिंक से मदद मिलेगी.
बबीता वाधवानी -
बहुत दुख हुआ पढकर कि बिना दहेज मांगे आपको जेल जाना पडा। अजीब है दुनिया मैं तो कहती हूँ शान्ति से खुद भी जीना चाहिए और दूसरो को भी जीने देना चाहिए । 

रमेश कुमार जैन बबीता वाधवानी जी, पुलिस अधिकारीयों की अपनी मजबूरी होती है कि इन्हें "दबाब" कार्य करने पड़ते है. ऐसा मैं खुद अपने मामले में देख चूका हूँ. देखें-मैं आपको अपना उदाहरण देकर समझता हूँ कि थाना-कीर्ति नगर की वुमंस सैल के जाँच अधिकारी राधेश्याम ने मेरे सामने अपनी सीनियर को कहा था कि मैडम लड़की के पास कोई ठोस सबूत नहीं है अपनी बात साबित करने के लिए और लडके के पास ठोस सबूत है. अपनी बात साबित करने के लिए जबकि हमने लडके से इतनी बातें भी नहीं की है. लेकिन फिर भी मेरे ऊपर केस दर्ज है. उनका कहना था कि हमारी मजबूरी है केस दर्ज करना. उनकी इस मजबूरी ने मुझे आज बर्बाद कर दिया और बिना कसूर के  "जेल" का दाग लगा दिया. लेकिन इतने घटिया आरोप (दहेज मंगाने) के लिए जेल जाना सहन नहीं हो रहा है. इसका सारी जिंदगी अफ़सोस रहेगा. जब अपने ही इतना कष्ट देते है तब अच्छे भले आदमी का दिमाग खराब हो जाता है. अगर मुझे कभी अपनी लेखनी के लिए जेल जाना पड़े या "फांसी" भी चढ़ना पड़े तो इतना अफ़सोस नहीं होगा.
दोस्तों, अभी टिप्पणियाँ और भी है, उनको अगली पोस्ट में 
 ( टिप्पणियाँ यहाँ पर क्लिक करके )  पढ़ें.

5 टिप्‍पणियां:

  1. भाई जी , ठीक इसी रास्ते से होकर आया हूँ , दावा है अंतिम जीत सत्य की निश्चित है, अगर आप चाहें एक मदद आपकी करना चाहूँगा एक इमानदार / सच्चा "इंसान वकील" के बारे में बता कर , cont.- manoj.shiva72@gmail.com

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  2. आप वकील का पता व फोन नं. बताए. यदि उसका कोई ईमेल आदि या फेसबुक आई.डी भी हो तो वो भी दे दें.

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  3. आप की पोस्ट पढ कर पता नही क्यों मन भारी हो गया...

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  4. मै बहुत आहत हुई सब पड़कर,काश आपकी कुछ मदद कर पाती

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  5. क्या कहूँ, भाई मेरी भी हालत ऐसी है। मेरे भैया शादी किये और अब लड़की और उसके परिवार वालों ने मिलकर हमारे परिवार को बलकमेल (रुपया मागते) हैं । कहते है कि अगर रुपया नहीं दिया तो हम सभी के ऊपर दहेज प्रथा के केश कर के जेल भेज देंगे । मेरा नाम सुजीत कुमार है और मैं B.Sc में पढ़ रहा हूँ ।अगर उसने सचमुच ऐसा किया तो मेरा कैरियर खराब हो जाएगा मेरा परिवार बिखर जाएगा क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आता है। मेरे परिवार में हमलोग 3 भाई और 1 बहन है माता-पिता है। जो मेरे बड़े भाई की शादी के बाद बड़ी भाभी और उसके परिवार वालों ने ऐसा कर रहे हैं।

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