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बुधवार, अप्रैल 13, 2011

मैंने अपनी माँ का बहुत दिल दुखाया है

.दोस्तों, मेरी पत्नी का मोबाईल पर संदेश आने के बाद अपने छोटे से बच्चे के भविष्य को देखते हुए ईमेल और कभी-कभी पत्नी के आये फ़ोन पर बहुत समझाने की कोशिश की. मगर दूसरों की "सीख" और बहकाने के साथ ही कानों की कच्ची होने के कारण अपने साथ-साथ दो साल और तीन महीने के बच्चे का भविष्य चौपड़ कर रही है. मेरा कैरियर तो बर्बाद कर ही दिया है. मैंने एक छोटी-सी गलती की कितनी बड़ी सजा पाई है. आप मेरी पत्नी  नमीषा* को 7 फरवरी 2011 को भेजी ईमेल पढ़कर ज्ञात कर सकते हैं. मेरे सारे ख्याबों को कैसे एक दूषित मानसिकता वाली लड़की ने चकनाचूर कर दिया? जीवन के आज ऐसे दोहरे पर खड़ा हूँ. जहाँ एक तरफ कुआं है और दूसरी तरफ खाई. न जी रहा हूँ और न मौत आती है. खुद अपने आपको कोई कष्ट पहुंचाकर अपनी विधवा माँ को कष्ट नहीं पहुंचा सकता हूँ. पहले ही मैंने अपनी माँ का बहुत दिल दुखाया है . उनकी मर्जी के बगैर "लव मैरिज" करके  उनके सपनों का खून किया है. उस माँ का कितना बड़ा दिल है. उसने फिर भी मेरी खुशियों के लिए क्षमा कर दिया था. मगर दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने अपनी दूषित मानसिकता बदलने की कोशिश ही नहीं की. इसको कहते हैं कि-एक माँ का दिल को दुखाकर कोई सुखी नहीं रह सकता है. एक दूषित मानसिकता वाली लड़की जब किसी बेटे के सामने ही उसकी माँ को "मनहूस" कहे तो क्या एक बेटा ऐसी लड़की की हत्या नहीं कर देगा? मगर मेरे संस्कारों ने कभी उसके ऊपर हाथ उठाने तक की गवाही नहीं दी. अब आप मेरे द्वारा भेजी ईमेल पढ़ें. *नोट: नमीषा एक बदला हुआ नाम है.
 07-2-2011 नमीषा ! अगर तुमको हिंदी में लिखने में परेशानी हो तो इन्टरनेट पर http://www.google.co.in/transliterate खोलकर रोमन इंग्लिश में लिखना शुरू कर दें और उसके बाद जैसे ही स्पेस दोगी. आपका लिखा हुआ शब्द हिंदी में बदल जायेगा. मैंने आपको 20 नव., 24 दिस.,5 जन., 25 जन., 27 जन., 4 फरवरी और 5 फरवरी 2011 को तुम्हारे फ़ोन पर sms भेजें थें, हो सकता है कि-स्पेलिंग ठीक न होने के कारण कुछ समझ नहीं आया हो. अब मैं आपको कभी sms भेजकर परेशान नहीं करूँगा. अक्सर तुम कहती थी कि-दुसरे की तरफ एक ऊँगली करने से पहले यह याद रखना चाहिए कि-तीन उँगलियाँ तुम्हारी तरफ भी होती है. आप यह बात कैसे भूल गई? तुम्हारी ईमेल का इन्तजार रहेगा अगर तुम जवाब देना उचित समझो तो या तुम्हारा वकील अनुमति दे.

1.
नमीषा, आपको जन्मदिन मुबारक हो.सांच को आंच नहीं!सच्चाई पर ही दुनियां कायम है.एक बार फिर से आपको जन्मदिन मुबारक हो.

2.
नमीषा ! तरसों सुबह यानि 21/12/2010 को श्रवण जैन के पापा मनोहर लाल जैन की डेथ हो गई है. जिनसे तुमने बहादुरगढ़ वाले चाचा का फ़ोन नं. लिया था. मेरे रिकोर्ट के अनुसार सितम्बर 2009 में एक बार तुमने फ़ोन पर कहा था की मेरे रिश्तेदार मुझसे ज्यादा अच्छे है.जोकि उन्होंने चाय-पानी तो पिलाया.अब देखते है तुम अपना इंसानियत का कितना फर्ज निभाती हो? तुमने लालच में आकर मेरे ऊपर एक से एक गंदे आरोप लगाये है. जिनका मैं अपनी ईमानदारी, अच्छे संस्कारों और अपने तपोबल की मदद से कोर्ट में जवाब दूंगा. आपके गंदे-गंदे आरोपों से यह तो साबित हो गया की आपको कैसे संस्कार मिले है? आपको मेरे खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए कितने झूठों का सहारा लेना पढ़ा है? जरा इस पर विचार करना? नाम के पीछे मात्र जैन लिख लेने से संस्कार नहीं आते है बल्कि इस के लिए तपस्या भी करनी पड़ती है. सांच को आंच नहीं आती है और हमेशा बुरी पर अच्छाई की विजय होती है. इतना याद रखना.हैप्पी न्यू इयर-2011

3.
नमीषा! परसों यानि 03/01/2011को पूरा एक साल हो गया जब तुमने और तुम्हारी मम्मी ने मुझे सार्वजनिक रूप से सारे मोहल्ले के सामाने 'हिजड़ा' कहा था. अगर मैं हिजड़ा हूँ तो धारा125 के तहत केस क्यों किया? क्या कभी हिजड़ों या नामर्द के बच्चे भी होते हैं? क्या अब तुम्हारे माँ-बाप से 2 रोटी नहीं खिलाई जा रही है. जो तुम अक्सर कहती थीं की मुझे 2 रोटी खिला सकते हैं और मेरे माता-पिता ने यह नहीं सिखाया? यह तो मेरे ऊपर एक से एक गंदे लगाये आरोपों और कोर्ट से आये पेपरों को देखकर/पढ़कर मालुम हो गया है और मेरी फाइलों से गुम कागजों को देखकर पता चल गया. आपको क्या सिखाया गया था? आज यानि 05/01/2011 को तुमको मायके में रहते हुए पुरे 2 साल हो गए है. मगर आज तक तुमको यह अहसास नहीं हुआ. तुमने मेरे लाख मना करने और तुम्हारे पैर पकड़ने के बाद भी तुमने अपनी मर्जी से दवाब में अपने पति का घर छोड़कर गलती की थी. आज वो बहन आपको कितना पूछती है जिसके लिए अपने बीमार पति की बीमारी को अहमियत न देते हुए अपने घर को अपने हाथों से उजाड़ लिया था. मैंने आपको हमेशा प्यार से समझाने की बहुत कोशिश की मगर आपको मेरी बातों में कुछ भी अच्छाई दिखाई नहीं दी. इसका मुझे बहुत अफ़सोस है. फिर भी अपने बच्चे का धयान रखना सर्दी बहुत ज्यादा हो रही है.आपके गंदे-गंदे आरोपों से यह तो साबित हो गया की आपको कैसे संस्कार मिले है? आपको मेरे खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए कितने झूठों का सहारा लेना पढ़ा है? जरा इस पर विचार करना? सांच को आंच नहीं आती है और हमेशा बुराई पर अच्छाई की विजय होती है. इतना याद रखना. सेंडिंग by : आपके आरोपों की थाना मोतीनगर की FIR no138/2010 का आरोपी.

4.
नमीषा! क्या तुम्हारी कोई email id है.अगर है तो मुझे sms कर दो.मैं तुम्हें एक आखिरी लैटर ईमेल से भेजना चाहता हूँ. उसके बाद तो सिर्फ कोर्ट में आपके केसों का जवाब ही दूंगा.वैसे 383 दिन हो चुके है आपको केसों को दर्ज करवाए हुए. क्या मिला आजतक आपको सिर्फ एक तारीख के बाद दूसरी तारीख. भविष्य में आप कितने सालों और कोर्ट में केस लड़ना चाहती हो? अगर आपने कभी सुई की नोक जितना भी प्यार किया है या रमन के अच्छे और उज्जवल भविष्य की सोचती हो तो sms करके प्लीज़ अपना email id बता दो.अगर तुम चाहो तो मैं भी तुम्हारी email id बना सकता हूँ.मगर जब तुम sms या फ़ोन करके कहोगी.तब ही बनाऊंगा. sending by : आपके आरोपों की थाना मोतीनगर की FIR No138/2010 का आरोपी. मुझे आपके जवाब चाहे वो गलियां ही क्यों न हो इन्तजार रहेगा.

5.
रमन तुमको जन्मदिन मुबारक हो.इस नए साल में तुम खुश रहो और स्वस्थ रहो. हैप्पी BRITH DAY TO यू-रमन!

6. .नमीषा!मुझे कल ही तुम्हारी 2 (nmisha_772@yahoo.com, nmisha02222@gmail.com.) ईमेल id sms द्वारा मिली है.2 sms आने से कन्फुज़ हो गया हूँ.कौन सी ईमेल id सही है? इसलिए अपनी ईमेल id से मेरी ईमेल id :- (sirfiraa20101976@gmail.com) पर एक ईमेल भेजकर पुष्टि कर दो. वैसे आज मेरे पिताजी की तीसरी पुण्यतिथि है और फिलहाल बीमार चल रहा हूँ. इसलिए कुछ दिनों तक तुमको लैटर नहीं भेजुगा. इतनी देर से अपना ईमेल id sms किया है. इससे लगता है कि हर बात शायद तुम अपने वकील से पूछकर ही काम कर रही हो. मगर इतना कहूँगा आजतक किसी वकील ने किसी का घर नहीं बसाया है बल्कि घरों को उजाड़ने का काम ज्यादा किया है. लेकिन यह हम पर निर्भर है कि-हम वकील द्वारा कही बात को कितना मानते है.उसको तो अपनी फीस लेनी है और ज्यादा से ज्यादा समय तक केस चलाना है. मेरी सारी ज़मापूंजी ख़त्म होने पर ही सरकारी वकील लिया है. sms भेजने से यह तो मालुम हो गया है कि-हाँ! कभी तुमने मुझसे कभी सुई की नोक जितना प्यार भी किया था. मगर तुमने कभी मेरे प्यार को कभी नहीं समझा. मैंने अपने प्यार की सच्चाई के लिए अपनी इज्जत,मान-सम्मान,धन-दौलत,धर्म और जाति की परवाह नहीं की.इसलिए ही तुम्हारी सभी प्रकार की क्रूरता के साथ ही बेतमिजियां भी सहन करता रहा.इस उम्मीद में की शायद तुमको मेरा सच्चा प्यार बदल दें और मेरे प्यार का तुमको एहसास हो जाये. मगर तुमने कभी अपने पति के प्रति जिम्मेदारियों को समझना ही नहीं चाहा.लेकिन तुमने एक सच्चे प्यार को मात्र वकीलों के वह्काने पर बहुत बदनाम कर दिया. मुझ पर लगाये सारे आरोप आपको साबित करने हैं मुझे नहीं! मैं तो सिर्फ कोर्ट में खड़ा होकर इन्तजार करंगा और देखूंगा की तुमने प्यार किया था या साजिश की थी.उसके बाद अपना पक्ष रखना है अपने वचाव में, साबित करना होगा कि- मुझसे प्यार तो कभी किया ही नहीं था बल्कि मेरे खिलाफ एक साजिश की गई थी.तुमने कभी मेरी बातों को गंभीरता से लेकर अपनी शादीशुदा जिंदगी ठीक से चलाने की कोशिश ही नहीं की. काश! अगर तुमने समझदारी से काम लिया होता तो आज तुम कोर्ट-कहचरी के चक्कर नहीं लगा रही होती.बस अब यह ही कहूँगा कि-"उम्र कैद होगी क्या है फैसला आदालत का, मुकद्दमा चलेगा अब मुहब्बत का, सजा मिलते ही दम टूटेगा मेरे जज्बातों का" अपनी ईमेल id से मेरी ईमेल id पर सिर्फ इतना बता दो कि-भविष्य में आप कितने सालों और कोर्ट में केस लड़ना चाहती हो और मुझसे क्या (जो मैं दे सकता हूँ-जोकि तुम जानती हो) चाहती हो? अगर गर्व के अच्छे और उज्जवल भविष्य कि सोचती हो तो! sending by :अब तो मेरी एक ही पहचान है जो तुम भी जानती हो:-आपके आरोपों कि थाना मोतीनगर कि FIR No138/2010 का आरोपी.मुझे आपके जवाब का चाहे वो गलियां ही क्यों न हो इन्तजार रहेगा.अब FIR के बाद एक ईमेल(हिंदी) भी लिखकर भेज दो.कुछ लोग प्यार करके कर देते है बर्बाद-कुछ करके हो जाते है बर्बाद.

7.
.नमीषा! अगर तुमको हिंदी में ईमेल भेजने में परेशानी हो तो तुम कल (11a.m के बाद) फ़ोन भी कर सकती हो.अगर तुमको मेरे द्वारा sms भेजने से परेशानी होती हो तो pliz एक बार बता देना.मेरा आपको किसी प्रकार का परेशान करने का कोई इरादा नहीं है.मैं लोगों के दिलों से दुआ लेने में विश्वास करता हूँ.sms भेजने से किसी प्रकार की आपको कोई अगर अनजाने में परेशानी हुई हो या गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा कर देना.क्षमादान सबसे बड़ा दान होता है.sending by :-अब तो मेरी एक ही पहचान है जो तुम भी जानती हो-आपके आरोपों की थाना मोतीनगर की FIR No138/2010 का आरोपी

4 टिप्‍पणियां:

  1. Whatever is happening to you is terrible. I can't do much for you just expressing my sympathy to you. But Here is a question in mind that are your relatives or friends are not helping in this regard.

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  2. विनय गुप्ता जी, आपने अगर अपनी टिप्पणी हिंदी में की होती तब उसका जवाब भी दे सकता था और आपकी भावनाओं को भी समझ लेता. मैंने गूगल के सोफ्टवेयर से अनुवाद करके थोड़ा समझने की कोशिश की मगर पूरी बात नहीं समझा. आप की टिप्पणी का यह है अनुवाद "तुम जो भी हो रहा है भयानक है. मैं बहुत तुम सिर्फ तुम मेरी सहानुभूति व्यक्त करने के लिए नहीं कर सकते. लेकिन यहाँ मन में एक सवाल है कि अपने रिश्तेदारों या दोस्तों को इस संबंध में मदद कर रहे हैं नहीं कर रहे हैं."

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आप भी अपने अच्छे व बुरे बैवाहिक अनुभव बाँट सकते हैं.

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