मेरे प्रेम-विवाह करने से पहले और बाद के जीवन में आये उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा पत्नी और सुसरालियों के फर्जी केस दर्ज करने वाले अधिकारी और रिश्वत मांगते सरकारी वकील,पुलिस अधिकारी के अलावा धोखा देते वकीलों की कार्यशैली,भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है "सच का सामना"आज के हालतों से अवगत करने का एक प्रयास में इन्टरनेट संस्करण जिसे भविष्य में उपन्यास का रूप प्रदान किया जायेगा.
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मंगलवार, नवंबर 01, 2011
मेरी लम्बी जुल्फों का कल "नाई" मालिक होगा.
2 टिप्पणियां:
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आप भी अपने अच्छे व बुरे बैवाहिक अनुभव बाँट सकते हैं.
जैन साहब आपकी तपस्या के बाद आपके नये रुप को देखने के इन्तजार में है।
जवाब देंहटाएंबहुत अनुमोदना आपकी....!!!
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