मेरे प्रेम-विवाह करने से पहले और बाद के जीवन में आये उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा पत्नी और सुसरालियों के फर्जी केस दर्ज करने वाले अधिकारी और रिश्वत मांगते सरकारी वकील,पुलिस अधिकारी के अलावा धोखा देते वकीलों की कार्यशैली,भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है "सच का सामना"आज के हालतों से अवगत करने का एक प्रयास में इन्टरनेट संस्करण जिसे भविष्य में उपन्यास का रूप प्रदान किया जायेगा.
हम हैं आपके साथ
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शनिवार, जून 11, 2011
माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें
2 टिप्पणियां:
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आप भी अपने अच्छे व बुरे बैवाहिक अनुभव बाँट सकते हैं.
जैन साहब
जवाब देंहटाएंआप बाबा रामदेव के साथ मिल जाओ,
शायद उसके बाद आपको, इस पत्र को लिखने की जरुरत नहीं पडेगी?
मेरी नजर में तो आदमी को आत्महत्या नहीं करनी चाहिए, यदि ज्यादा ही मजबूरी है तो जिन लोगों की वजह से ऐसा काम करना पड रहा है, पहले उन्हे मिटा देना चाहिए, फ़िर चैन से मरो?
आपके पत्र का क्या जवाब आय? बताइए।
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