आज में सरकार से इस पोस्ट के माध्यम से पूछना/जानना चाहता हूँ कि अगर एक सभ्य ईमानदार व्यक्ति दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को रिश्वत नहीं दें तो क्या वो अधिकारी मात्र एक महिला के कहने से बिना सबूतों के ही गम्भीर आरोप लगाकर मामला दर्ज कर सकता है ? क्या किसी व्यक्ति का पक्ष सिर्फ रिश्वत देने पर ही सुना जायेगा? क्या सारी महिलाएं सच्ची है और सारे पुरुष झूठे व अत्याचारी होते हैं?
मेरे प्रेम-विवाह करने से पहले और बाद के जीवन में आये उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा पत्नी और सुसरालियों के फर्जी केस दर्ज करने वाले अधिकारी और रिश्वत मांगते सरकारी वकील,पुलिस अधिकारी के अलावा धोखा देते वकीलों की कार्यशैली,भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है "सच का सामना"आज के हालतों से अवगत करने का एक प्रयास में इन्टरनेट संस्करण जिसे भविष्य में उपन्यास का रूप प्रदान किया जायेगा.
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मंगलवार, फ़रवरी 07, 2012
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