मेरे प्रेम-विवाह करने से पहले और बाद के जीवन में आये उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा पत्नी और सुसरालियों के फर्जी केस दर्ज करने वाले अधिकारी और रिश्वत मांगते सरकारी वकील,पुलिस अधिकारी के अलावा धोखा देते वकीलों की कार्यशैली,भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है "सच का सामना"आज के हालतों से अवगत करने का एक प्रयास में इन्टरनेट संस्करण जिसे भविष्य में उपन्यास का रूप प्रदान किया जायेगा.
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शनिवार, जून 18, 2011
मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा
1 टिप्पणी:
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आप भी अपने अच्छे व बुरे बैवाहिक अनुभव बाँट सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज्जो से से हर इन्सान परेशान है वजह फालतू के आदेश देते रहते है कभी किसी जज ने किसी अपराधी नेता को चुनाब लड़ने से मना क्या है. कानुप पास करते है के पेट्रोल पम्प पैर आप बोल्त्टेल मैं आयल नहीं ले सकते चाहे उस आदमी को ५ किलीमीटर कार मैं धक्का लगाकर आना पड़े. पता नहीं क्या सोच कर कानून पास करते है. चपरासी १२ पास चाहिए पैर मंत्री अंगूटा छाप है तो भी मंजूर है इस पैर कोई भी कोर्ट कानून या आदेश नहीं बनता. कहो कहता है ये काम संसद का है. इसने पूछोए कभी किसी चोर ने अपने लिए सजा चुनी है जो ये संसद रूपी चोर सजा सुनायेंगे.
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